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बलिया मामले में पांच हिरासत में, नौ पुलिसकर्मी निलंबित
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर ग्राम में बृहस्पतिवार को सरकारी सस्ते गल्ले के दुकान के चयन के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के मामले में तीन उप निरीक्षक सहित नौ पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है जबकि इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया है। मामले का मुख्य आरोपी अब भी फरार है और पुलिस उप महानिरीक्षक ने इस घटना में पुलिस की लापरवाही को स्वीकार किया है। दूसरी तरफ बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने रेवती कांड की पुलिसिया जांच पर सवालिया निशान लगाते हुए इसकी सीबी—सीआईडी से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने शुक्रवार को यहां कहा कि रेवती कांड के मामले में पुलिस एक पक्षीय कार्रवाई कर रही है। इस मामले पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार यादव ने शुक्रवार को बताया कि बृहस्पतिवार को रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर ग्राम में सरकारी सस्ते गल्ले के दुकान के चयन के दौरान हुई घटना के मामले में लापरवाही बरतने पर रेवती थाने में तैनात तीन उप निरीक्षकों — सूर्य कांत पांडेय, सदानन्द यादव व कमला सिंह यादव — तथा छह अन्य आरक्षियों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में पहले ही उप जिलाधिकारी सुरेश चंद्र पाल व पुलिस उपाधीक्षक चन्द्रकेश सिंह को निलंबित कर दिया था। अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी की आख्या से स्पष्ट है कि अभियुक्त गण स्थल पर असलहा लेकर आये और पुलिस उपाधीक्षक चन्द्रकेश सिंह व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए थे। अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि रेवती थाने में चंद्रमा पाल की शिकायत पर धीरेंद्र प्रताप सिंह डब्ल्यू, उनके भाई नरेन्द्र प्रताप सिंह सहित आठ लोगों को नामजद किया गया था। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 20 से 25 अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्धमुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने फिलहाल पांच लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम गठित कर दबिश दी जा रही है, लेकिन मुख्य आरोपी धीरेंद्र समेत सभी फरार हैं। अपर पुलिस महानिदेशक ब्रजभूषण व पुलिस उप महानिरीक्षक सुभाष चंद्र दूबे बलिया पहुँच गये हैं। उन्होंने घटना स्थल का दौरा किया। पुलिस उप महानिरीक्षक सुभाष चंद्र दूबे ने पत्रकारों को बताया कि इस घटना में प्रथम दृष्टया पुलिस की लापरवाही सामने आई है। रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर ग्राम में बृहस्पतिवार को हुई घटना में मृतक जय प्रकाश पाल उर्फ गामा के भाई तेज प्रताप पाल ने पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाये है। पाल ने पत्रकारों को बताया कि घटना के बाद पुलिस की भूमिका बेहद शर्मनाक रही है। उन्होंने दावा किया कि घटनास्थल पर दस पुलिसकर्मी मौजूद थे, जिसमें दो महिला पुलिस कर्मी भी थी। उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों को बचा रही थी और हम लोगों को पीट रही थी। आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह गोली मारकर भाग रहा था तो पुलिस ने उसे पीछे से पकड़ लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने धीरेंद्र प्रताप को बंधे पर ले जाकर छोड़ दिया और उसे फरार करा दिया। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने रेवती कांड की पुलिसिया जांच पर सवालिया निशान लगाते हुए इसकी सीबी—सीआईडी जांच की मांग की है। उन्होंने शुक्रवार को यहां आरोप लगाया कि रेवती कांड के मामले में पुलिस एक पक्षीय कार्रवाई कर रही है। उन्होंने दावा किया कि कल हुई घटना में दूसरे पक्ष के भी छह व्यक्ति घायल हुए हैं, जिसमें एक का उपचार वाराणसी में चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने दूसरे पक्ष की शिकायत पर कोई कार्रवाई नही की। उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि इस मामले की सीबी—सीआईडी से जांच करायी जाय। उन्होंने जानकारी दी कि वह इस मसले पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे तथा उनसे मिलकर भी अनुरोध करेंगे। बैरिया क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने धीरेंद्र को भाजपा के पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ का जिला अध्यक्ष बताया था। उधर बलिया में सस्ते गल्ले की दुकान के चयन को लेकर बुलाई गयी बैठक में गोली चलने की घटना पर बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को गहरी चिंता जताते हुये कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया, उत्तर प्रदेश के बलिया में हुई घटना अति-चिन्ताजनक तथा अब भी महिलाओं एवं बच्चियों पर आये दिन हो रहे उत्पीड़न आदि से यह स्पष्ट हो जाता है कि यहाँ कानून-व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। सरकार इस ओर ध्यान दे तो यह बेेहतर होगा। बसपा की की यह सलाह। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, बलिया में सत्ताधारी भाजपा के एक नेता के एसडीएम और सीओ के सामने खुलेआम एक युवक की हत्या कर फरार हो जाने से उप्र में कानून व्यवस्था का सच सामने आ गया है। अब देखे क्या एनकाउंटर वाली सरकार अपने लोगों की गाड़ी भी पलटाती है या नही।