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आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में बिहार के मखाने का जिक्र, जानें- क्या है प्लान

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आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में बिहार के मखाने का जिक्र, जानें- क्या है प्लान

नयी दिल्ली। सरकार ने कृषि एवं इससे जुड़े डेयरी, मछलीपालन, मधुमक्खीपालन और औषधीय खेती जैसे क्षेत्रों के लिये 1.63 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की शुक्रवार को घोषणा की। पैकेज का लक्ष्य कृषि उपज के बेहतर रखरखाव, परिवहन और दूसरी जरूरी बुनियादी सुविधाओं के लिये क्षमता निर्माण को मजबूती देना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी से पस्त अर्थव्यवस्था को उठाने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की तीसरी किस्त जारी करते हुए शुक्रवार को एक लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी संरचना कोष की घोषणा की। इस कोष से उन परियोजनाओं का वित्त पोषण किया जायेगा, जो फसलों की कटाई के बाद प्रबंधन व भंडारण आदि से संबंधित हैं। इसके अलावा सूक्ष्म खाद्य इकाइयों, पशुओं के टीकाकरण, डेयरी क्षेत्र, औषधीय खेती, मधुमक्खी पालन और फलों एवं सब्जियों के लिये भी योजनाओं की घोषणा की गयी। सीतारमण ने कहा कि कृषि बुनियादी संरचना कोष के तहत संग्राहकों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों,कृषि उद्यमियों और स्टार्टअप को एक लाख करोड़ रुपये के कोष से सहायता उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस कोष का गठन किया जायेगा।

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वित्त मंत्री ने कहा कि खेतीबाड़ी के इलाकों के आस-पास पर्याप्त संख्या में शीत भंडार गृहों तथा उपज के बाद के प्रबंधन संबंधी बुनियादी संरचनाओं के अभाव के कारण मूल्य श्रृंखला में अभावन उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवन, औषधीय, जैविक तथा पोषक जड़ीबूटी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये दो लाख सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों की मदद को लेकर 10 हजार करोड़ रुपये के कोष की घोषणा की। इसके अलावा सरकार समुद्री और भूक्षेत्र में मत्स्यपालन के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) शुरू करेगी। इनमें से 11 हजार करोड़ रुपये खारे (समुद्री क्षेत्र) व भूक्षेत्र (मीठे जल) में मत्स्यपालन के लिये होंगे। शेष नौ हजार करोड़ रुपये फिशिंग हार्बर, शीत भंडारण व बाजार जैसी बुनियादी संरचनाओं के लिये होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 55 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के असवर मिलेंगे तथा निर्यात भी दो गुना होकर एक लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जायेगा। उन्होंने कहा कि मुंह पका- खुर पका बीमारियों और ब्रूसीलोसिस को लेकर चल रहे राष्ट्रीय पशु बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गायों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों और सुअरों का 100 प्रतिशत टीकाकरण किया जायेगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इसके अलावा डेयरी प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, मवेशी चारा क्षेत्र में निजी निवेश को समर्थन के लिये 15 हजार करोड़ रुपये का पशुपालन संरचना विकास कोष स्थापित किया जाएगा। औषधीय पौधों और दूसरी जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहन के लिये भी 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गयी। इसके तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तरह की स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटियों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य है।

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वित्त मंत्री ने कहा कि यह योजना किसानों के लिये पांच हजार करोड़ रुपये के आय के सृजन में मददगार होगी। गंगा नदी के किनारे 800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में औषधीय गुणों वाले पौधों के लिये एक गलियारा बनाया जायेगा। आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में मधुमक्खी पालकों के लिये बुनियादी ढांचा विकास को 500 करोड़ रुपये की योजना की भी घोषणा की गयी। इससे दो लाख मधुमक्खी पालकों को मदद मिलेगी। सीतारमण ने कहा कि अब हरित अभियान का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू से आगे सभी फलों और सब्जियों तक किया जायेगा। इसके लिये 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष दिया जायेगा। इस राशि का इस्तेमाल इन जिंसों को आधिक्य वाले क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों में परिवहन और शीत भंडारण जैसी सुविधाओं पर सब्सिडी देने में किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से किसान अब अपने उत्पाद औने-पौने दाम पर बेचने के लिये मजबूर नहीं होंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार का मखाना, यूपी का आम, केरल में रागी, कश्मीर में केसर, आंध्र प्रदेश में मिर्च मशहूर हैं। इस पैकेज की मदद से यहां पर कलस्टर बनाए जाएंगे। जिससे इस तरह की खेती को बढ़ावा मिलेगा, और इससे जुड़े लोगों की आमदनी बढ़ेगी। दरअसल, माइक्रो फूड एंटरप्राइज के लिए सरकार 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है, इससे स्थानीय कंपनियों को सपोर्ट किया जाएगा। इस पैकेज की मदद से बिहार का मखाना, यूपी के आम, जम्मू-कश्मीर के केसर जैसे खेती को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा कृषि का आधारभूत ढांचा बनाने के लिए 1 लाख करोड़ की योजना लाई गई है।
वित्त मंत्री की घोषणा पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि मखाना उत्पादन में बिहार पूरी दुनिया में पहले स्थान पर है, ऐसे स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बिहार में जो ऐसे लोकल उत्पाद हैं उनको इससे एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार मिल पाएगा।


सरकार की घोषणा के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए पशुधन और मत्स्य पालन आवश्यक हैं, इसके लिए आज 53 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई है, जिसमें 20 हजार करोड़ मत्स्य पालन के लिए और 33 हजार करोड़ डिजीज के लिए और प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटित किए गए हैं।

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