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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर कार्रवाई को गति दे सकता है भारत
भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक “बेहद जिम्मेदार” पक्ष है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर वह विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई को बल दे सकता है तथा सतत विकास लक्ष्यों पर ध्यान आकर्षित करने में भी मददगार साबित हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने ये बातें कही हैं। भारत ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चुनाव में अस्थायी सदस्य के तौर पर जबर्दस्त जीत हासिल की थी। उसका दो साल का कार्यकाल जनवरी 2021 में शुरू होगा। उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में डाले गए 192 मतों में से 184 मत मिले थे। इससे पहले भारत शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 के लिए चुना गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद बंदे ने पीटीआई-से एक साक्षात्कार में कहा, “भारत प्रौद्योगिकी, लोग, विचारों के लिहाज से विश्व का बहुत महत्त्वपूर्ण देश है और यह कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का बहुत मजबूत सदस्य है तथा उन संगठनों की संवेदनशीलता को चर्चाओं में (संयुक्त राष्ट्र में और सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर) शुमार कर सकता है।”
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अगले साल सुरक्षा परिषद में भारत के शामिल होने के बाद देश से क्या उम्मीदें हैं, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ अपने क्षेत्र में बल्कि हर जगह हमेशा समर्थन दिया है। मुहम्मद बंदे ने कहा, “इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि वह सतत विकास लक्ष्यों के मुद्दों पर कुछ ध्यान खींचेगा क्योंकि वह अन्य देशों के सम्मान के इर्द-गिर्द चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।” उन्होंने कहा, “मेरे विचार में राष्ट्रमंडल और अन्य मंचों (जैसे) गुट निरपेक्ष आंदोलन के भीतर उसके संबंधों को लेकर वह बहुत जिम्मेदार रहा है, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि वह अन्य संगठनों में भी महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर कार्रवाई को गति दे सकता है।” संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने यह भी कहा कि सभी सदस्य राष्ट्रों ने महासभा में उस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी कि सभी सदस्य टीकों की उपलब्धतता के विचार को समर्थन देंगे। उन्होंने कहा कि जो देश इन जरूरी टीकों को जल्द बनी लेंगे, उन्हें अन्य देशों द्वारा धन मुहैया कराया जाना सुनिश्चित कराया जाएगा।