Bihar
बिहार यंग थिंकर्स फोरम द्वारा “भारत-नेपाल संबंधों में बिहार – एक सांस्कृतिक सेतु” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
पटना। बिहार यंग थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित वेब संगोष्ठी में श्री रंजीत राय (नेपाल में भारत के पूर्व राजनयिक) एवं श्री दीपक अधिकारी ( राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख, हिंदू स्वयंसेवक संघ नेपाल) ने अपना व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के प्रथम वक्ता श्री रंजीत राय ने यह बताया की ऐतिहासिक सुगौली समझौते ने भारत एवं नेपाल के बीच खुली सीमा एवं सीमावर्ती इलाकों में दोनों तरफ नज़दीकी पारिवारिक संबंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। भारत एवं नेपाल के प्रमुख राजनेताओं ने एक दूसरे के संघर्ष में योगदान दिया। इसका प्रमुख उदाहरण नेपाल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री बी पी कोइराला के पटना प्रवास तथा जेपी नारायण एवं राम मनोहर लोहिया के नेपाल के जेलों में प्रवास है। सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से दोनों ही देशों के लोग आपस में संबंधी हैं एवं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की भारत एवं नेपाल के रिश्तो को रोटी एवं बेटी के संबंध की संज्ञा दी गई है। नेपाल में माओवादी गतिविधियों एवं वहां के मधेशी जनसमूह के प्रदर्शनों की वजह से पिछले चार-पांच वर्षों में भारत एवं नेपाल के संबंधों में गिरावट देखी गई है। नेपाल के कई विद्यार्थी भारत के शैक्षिक संस्थानों में अपनी पढ़ाई करते हैं एवं चिकित्सा संबंधी जरूरतों के लिए भारत एवं नेपाल के नागरिक एक दूसरे के अस्पतालों का भी उपयोग करते हैं। भारत एवं नेपाल के बीच कोसी नदी के बांध का काम एक भारी अड़चन बनकर उभरा है। साथ ही कई पारस्परिक प्रोजेक्ट भी देरी का सामना कर रहे हैं जिसमें से एक रामायण तीर्थ सर्किट भी है। श्री रंजीत राय जी ने इस पर जोर दिया की भारत एवं नेपाल के संबंधो पर कोई भी चर्चा करने मैं उन राज्यों की सलाह जरूर लेनी चाहिए जिन की सीमा नेपाल से मिलती हैं जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड एवं पश्चिम बंगाल। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता श्री दीपक कुमार अधिकारी ने दोनों ही देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव पर प्रकाश डालते हुए यह बताया की इस तरीके की सांस्कृतिक समानता को वर्तमान के राजनीतिक संबंधों में एक प्रमुख बिंदु की तरह इस्तेमाल करना चाहिए तथा इसे आधुनिकता के नाम पर नहीं भुलाया जाना चाहिए।
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राजा जनक के मिथिला राज का उदाहरण देते हुए उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनकी भूमि भारत एवं नेपाल दोनों के ही राज्यों का हिस्सा रही है तथा आधुनिक भारत एवं नेपाल बनने के कई सहस्त्र वर्ष पहले ही इस सांस्कृतिक धरोहर की नींव पड़ गई थी। भारत एवं नेपाल के सीमा पर पड़ने वाले भारतीय गांवों एवं शहरों में आधारिक संरचना की जरूरत पर उन्होंने बल दिया। साथ ही दोनों देशों के पत्रकारिता जगत को जागरूक करने की भी बात कही। उन्होंने यह बताया कि विगत कुछ वर्षों में भारत एवं नेपाल को पत्रकारिता जगत में एक विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है तथा यह बेहद चिंताजनक है। चीन के नेपाल में हस्तक्षेप पर उन्होंने अपनी राय रखी की चीन ना केवल राजनैतिक दृष्टिकोण से अपितु नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की दृष्टि से भी विश्व में अलग-थलग पड़ा हुआ है तथा उसकी तुलना भारत के महानता से नहीं की जा सकती।कार्यक्रम में श्री अरुण चौधरी (पूर्व आईपीएस अफसर, पूर्व महानिदेशक, सशस्त्र सीमा बल) ने भी अपना लघु विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने यह बताया कि दोनों देशों के खुले सीमा नियमों की वजह से काफी परिवारों का व्यक्तिगत संबंध सीमा के दोनों तरफ है एवं ऐसी परिस्थिति में सीमा में सुरक्षा बाड़ लगाना गलत होगा। उन्होंने भारत एवं नेपाल के गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के राजनयिकों, राजनीतिज्ञों एवं छात्रों के बीच पारस्परिक संबंध को बढ़ावा देने पर बल दिया। साथ ही भारत के परिपेक्ष में नेपाल संबंधी विषयों पर उन्होंने कूटनीतिक एवं नौकरशाही में तेज गति लाने की जरूरत बताई।