Bihar
कांग्रेस ने बिहार के किसानों की ‘बदहाली’ के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया
बिहार कांग्रेस प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास ने बुधवार को राज्य में किसानों की ‘बदहाल स्थिति’ के लिए राज्य की राजग सरकार को जिम्मेदार ठहराया। दास ने आरोप लगाया कि किसानों की इस स्थिति के लिए राज्य सरकार द्वारा धान और गेहूं की कम खरीद किया जाना और उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं दिया जाना जिम्मेदार है। दास ने हाल में बिहार के 14 जिलों की पदयात्रा करके पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात की। उन्होंने आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि से जुडे मुद्दों के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए उनकी पार्टी आने वाले दिनों में राज्य में एक बडा किसान आंदोलन करेगी। बिहार सरकार पर किसानों के प्रति कोई सम्मान नहीं रखने का आरोप लगाते हुए दास ने कहा कि किसानों को न तो उनकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है और न ही उनकी फसलों की पर्याप्त खरीद हो रही है। उन्होंने दावा किया कि बिहार सरकार प्रदेश में केवल एक प्रतिशत गेहूं खरीद सकती है। उन्होंने कहा कि मक्के का कोई खरीदार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का कुल उत्पादन का 30-40 प्रतिशत धान क्रय का लक्ष्य है जबकि छत्तीसगढ़ में 90 प्रतिशत खरीद किया गया तथा अन्य राज्य सरकारों द्वारा 70-80 प्रतिशत खरीद का लक्ष्य है। उन्होंने हालांकि अपने द्वारा उल्लेखित आंकड़ों का कोई स्रोत नहीं बताया। दास ने आरोप लगाया कि राज्य में गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले चार वर्षों में संशोधित नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को गन्ने के लिए 310 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है और राज्य सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों में गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। जब उत्पदान की लागत बढ़ रही है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं बढाया जा सकता है।’’ दास ने प्रदेश में चीनी मिलों को बंद कर दिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए कोई पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का यह कर्तव्य है कि वह किसानों को उचित मूल्य, एमएसपी, खरीद आदि सुनिश्चित करे लेकिन किसानों के सामने आने वाली समस्याओं के लिए उसके पास कोई समय नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि सरकार चाहती तो बिहार में 5000 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा सकती थीं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से सरकार की गरिमा कम नहीं होगी। यह पूछे जाने पर कि बिहार में किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर क्यों नहीं उतरे हैं, दास ने कहा कि किसानों को राज्य में अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं है और पार्टी उनके बीच जागरूकता पैदा करेगी। गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हिंसा पर दास ने कहा, ‘‘यदि सरकार इतनी कमजोर है कि वह लाल किले की रक्षा नहीं कर सकती तो 56 इंच का सीना होने के दावे का क्या मतलब है।