Bihar
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद मुकेश सहनी ने कहा..राजग ने मरहम लगाने का काम किया
बालीवुड सेट डिजाइनर के क्षेत्र में हाथ आजमाने के बाद राजनीति में आए मुकेश सहनी ने अपने दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनने के बाद बुधवार को कहा कि राजग ने घाव पर मरहम लगाने का काम किया। राजग में शामिल होने की औपचारिक घोषणा करते हुए सहनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ एक पक्ष (राजद नीत महागठबंधन) ने पीठ में खंजर घोंपने का काम किया जबकि दूसरे पक्ष (राजग) ने मरहम लगाने का काम किया। ’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार के कार्यो के प्रति पूरी आस्था व्यक्त करते हुए बिहार चुनाव में राजग की जीत का संकल्प व्यक्त किया। कुछ दिन पहले तक सहनी बिहार में विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा थे और टिकटों को लेकरदावा कर रहे थे कि राजद ने उन्हें 25 सीटें व सरकार बनने पर उप मुख्यमंत्री के पद की पेशकश की है। लेकिन राजद नीत महागठबंधन द्वारा घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे की घोषणा किये जाने के दौरान वीआईवी के सीटों की संख्या नहीं बताने से मुकेश सहनी नाराज हो गए थे और प्रेस कांफ्रेंस छोड़कर बाहर चले गए थे। इसके बाद वे महागठबंधन से अलग हो गए। इसपर सवाल किये जाने पर मुकेश सहनी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार मेरी वजह से बनती इसलिए उस पद की मांग की थी। यहां (एनडीए)ऐसी कोई बात नहीं है। राजग में जदयू और भाजपा के साथ उनकी पार्टी सहयोगी दल है।
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वीआईपी पार्टी के नेता ने कहा कि वहां उनकी पीठ में खंजर घोंपने का काम किया जबकि यहां राजग में मरहम लगाया गया। इसलिए जो भी मिला वो स्वीकार है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने वीआईपी पार्टी को राजग में अपने कोटेसे 11 सीटें देने की घोषणा की। भाजपा को राजग में सीटों के बंटवारे के तहत 121 सीटें मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने 2015 में भी पूरी मजबूती से भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन किया था। किसी वजह से भटक गया लेकिन अब ख़ुशी है कि जहां से मैंने अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था आज फिर से वही हूं।’’ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, चुनाव प्रभारी एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की उपस्थति में सहनी ने कहा कि राजग ने पिछड़ी जाति के बेटे को सम्मान दिया है और इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हैं। गौरतलब है कि बिहार में निषाद समाज की आबादी करीब तीन से चार फीसद है। भले यह आंकड़ा वोट के लिहाज से छोटा हो लेकिन मुजफ्फरपुर, दरभंगा, औरंगाबाद और खगडिय़ा जैसे क्षेत्रों में निषाद वोट निर्णायक माना जाता है।