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सिख विरोधी दंगे: न्यायालय का स्वास्थ्य के आधार पर सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से इंकार

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सिख विरोधी दंगे: न्यायालय का स्वास्थ्य के आधार पर सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से इंकार

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगें से संबंधित मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को स्वास्थ्यके आधार पर अंतरिम जमानत देने से बुधवार को इंकार कर दिया। न्यायालय ने टिप्प्णी की कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। सज्जन कुमार की तरह ही सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर और 10 साल कैद की सजा भुगत रहे पूर्व विधायक महेन्द्र यादव को भी न्यायालय ने पैरोल पर रिहा करने से इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सज्जन कुमार की मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उनकी अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस बीच, एम्स द्वारा सौंपी गयी 11 मार्च की मेडिकल रिपोर्ट की एक प्रति आवेदनकर्ता (सज्जन कुमार) को उपलब्ध करा दी जाये। पैरोल या अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज की जाती है।’’

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पीठ ने कहा कि सज्जन कुमार की नियमित जमानत की अर्जी पर अब अगस्त में सुनवाई होगी। सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दंगा पीडितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जमानत की अर्जी का विरोध किया जबकि सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि अगर जेल में सज्जन कुमार को कुछ हो गया तो उम्र कैद की सजा उनके लिये मृत्यु दंड हो जायेगी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर 2018 को निचली अदालत का 2013 का फैसला पलटते हुये सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनायी थी जबकि एक अन्य दोषी बलवान खोखर की उम्र कैद की सजा अदालत ने बरकरार रखी थी। सज्जन कुमार और पूर्व पार्षद बलवान खोखर दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम इलाके में स्थित राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाने की घटना से संबंधित मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। ये घटनायें एक-दो नवंबर, 1984 को हुयी थीं, जब 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के थे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में पांच अन्य दोषियों की सजा भी बरकरार रखी थी।

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