Bihar
द हिंदुत्व पैराडायम पुस्तक का विमोचन
बिहार यंग थिंकर्स फोरम एवं दिनकर शोध संस्थान द्वारा आयोजित राम माधव द्वारा लिखित पुस्तक ‘द हिंदुत्व पैराडायम’ का विमोचन ए न सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज में किया गया ।इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में कुलपति जस्टिस(रिटायर्ड) मृदुला मिश्रा, पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, विधान परिषद सदस्य डॉ० संजय पासवान, आचार्य कुणाल किशोर मौजूद थे। डॉ० पासवान ने कार्यक्रम के शुरुवात में कहा ही हिंदुत्व के पारंपरिक परिभाषा का उल्लेख्य किया जो मानवता का परिचालक है।उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम परिदृश्य के अभिमान को चुनौती देने का काम श्री राम माधव ने अपने पुस्तक के माध्यम से किया है।आचार्य कुणाल ने ‘हिंदुत्व’ ज्वलंत विषय बताया । उन्होंने कहा कि यह विषय को उतना प्रतिमान नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए। पूर्व में इतिहासकारो ने हिन्दू सभ्यता को उपेक्षित किया है ।अभी तक हिंदुत्व पर जितनी किताबें लिखी गई उनमें ज्यादातर झूठ लिखा गया है। ज्यादातर इतिहासकारों ने हुए निरर्थक बातें लिखी। एक विशेष खंड में केवल सनातन के बारे में झूठ परोसा गया।उन्होंने इतिहासकार को हमेशा न्यायाधीश की तरह निष्पक्ष होने की बात कही ।
सुशील मोदी ने राम माधव को पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानवाद’ विचार को अपने पुस्तक में प्रतिपादित करने के लिए धन्यवाद किया ।
मोदी ने कहा,”पश्चमीकरण आधुनिकीकरण नही है”। मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचार ’एकात्म मानववाद ’ को अपने पुस्तक में अच्छे ढंग से बताने के लिए राम माधव जी का धन्यवाद किया ।उन्होंने पश्चिम के विज्ञान का अनुसरण करने की बात कही, लेकिन वहां की जीवन शैली को सोच विचार कर अपनाने की बात की। भारतीय विचारों का पश्चिम विचारों से तुलनात्मक अध्ययन के लिए इस पुस्तक को एक आदर्श पुस्तक की श्रृंखला में नींव डालने वाला बताया ।जस्टिस मृदुला मिश्रा: भारत एक वक्त में अपने दर्शन के वजह से विश्व गुरु माना जाता था लेकिन बाद में लोगों ने पश्चिमी विचारों को उत्तम समझना शुरू कर दिया और अपने विचार को हीन भावना से देखने लगे। उन्हीने बताया कि हिंदुत्व को हम सिर्फ धर्म से नहीं जोड़ सकते, हिंदुत्व एक सोच है, हिंदुत्व का दर्शन सभी का सुखी होना, सभी का स्वस्थ होना है।उन्होंने यह भी कहा कि आज के युवा को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए ताकि वो भारतीय विचार को समझ पाए क्योंकि उनका रुझान पश्चिम विचारों के तरफ ज्यादा हो रहा है । राम माधव ने बिहार को विद्वानों की भूमि बताते हुए कहा कि इस किताब को लिखने का उद्देश्य था कि ‘हिंदुत्व’ विषय पर चर्चा हो। भारत विचार और विमर्श की भूमि रही है। हम बिलीवर्स नही हैं हम सीकर्स हैं। उन्होंने गांधीजी के विचारों को सामने रखते हुए कहा कि “सत्य का निरंतर खोज ही सनातन है”।इस किताब को लिखने के पीछे की वजह बताते हुए और इस वक्त लिखने की वजह बताते हुए कहा कि, इस किताब के पीछे कोई राजनीतिक वजह नहीं हैं, इसकी वजह
एक चिंतन को देश और दुनिया के सामने रखने का प्रयास है।राम माधव ने कहा “आजादी के बाद हमें एक नया रास्ता चुनने की जरूरत थी, उस वक्त हम थोड़े आलसी हो गए।उस समय हम अपने भारतीय विचार को भूल गए और यूरोपियन विचार को अपना लिया”। मैं ये नही कहता कि वो विचार गलत है, लेकिन हमारा देश थोड़ा भिन्न था। दीनदयाल जी कहते थे भारत में लोकतंत्र सर्व समावेशी होना चाहिए।
हमारा अभी तक का सफर अच्छा रहा लेकिन पोस्ट कोविड वर्ल्ड ऑर्डर में हमे निर्णायक भूमिका निभाने को जरूरत है।
