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कोविड-19 वैक्सीन बनाने के चरण में भारत

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कोविड-19 वैक्सीन बनाने के चरण में भारत

आशुतोष.

अथक प्रयासों के बात अब हमारे वैज्ञानिक कोविड-19 महामारी के इलाज की तरफ बढ़ते हुए वैक्सीन बनाने के चरण में आ चुके है और AIIMS और ICMR से मिली खबरों के अनुसार हम अब कई दूसरे मानवी प्रयोग सम्बन्धी चरणों को लेकर आगे की तरफ अग्रसर है। इसी सम्बंध में ICMR( Indian Council Of Medical Research) अंतराष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन 30 जुलाई को की गई थी। आयोजित बैठक का समय शाम 4:30 था जो की 6:45 तक चला। 25 प्रतिनिधियों की इस बैठक में सभी प्रमुख लोगो को आमंत्रण भेजा गया था।
इस बैठक का मुख्य धेय्य कोविड-19 की सर्वव्यापी महामारी को लेकर रही।
इस बैठक में शामिल हुए प्रमुख वैज्ञानिक और इसी छेत्र से जुड़े हुए लोगो में डॉ.अंटोनी एस फॉसी, जो की नेशनल इंस्टीटूट ऑफ अल्गेरी एंड इंफेक्टियस डिजीज के मोजूदा डायरेक्ट है।

प्रोफेसर एड्रिन हिल जो कि जेनर इंस्टीटूट के डायरेक्टर के पद पर है और साथ साथ वह ह्यूमन जेनेटिक्स के भी प्रोफेसर है ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी(यूनाइटेड किंगडम में स्थापित)।
प्रोफेसर वाल्टर ओरेंसटिन, जो की एमोरी वैक्सीन सेंटर, एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन, के प्रोफेसर होने के साथ साथ एसोसिएट डायरेक्टर भी है।
बैठक में वैक्सीन और उसके निर्माण की गति को लेकर कई विषयो पर वार्ताएं हुई।

डॉ.बलराम भार्गवा, जो की वर्तमान ICMR के डायरेक्टर है, ने भी इसमे अपनी उपस्तिथि दर्ज की।
डॉ. रणदीप गुलेरिया मौजूदा वक़्त में AIIMS डायरेक्टर ने भी बैठक में भाग लिया।

वही दूसरी तरफ गौर करे तो कई अन्य बाहरी रिसर्च कम्पनियां और कई यूनिवर्सिटी भारत के साथ आना चाह रही है।

डॉ.राघवन जो की भारत सरकार के सैद्धान्तिक वैज्ञानिक सलाहकार है ने इस बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा ” भारत भी संयुक्त रूप से साझेदारी करते हुए कोविड -19 वैक्सीन बनाएगा”

अभी तक कोविड-19 वैक्सीन का मूल रूप से परीक्षण और जांच क्लिनिकल दायरे तक की परिधि तक सीमित था किंतु अब वैक्सीन को आगे ले जाने के लिए खुले रूप से मानवीय प्रयोग की जरूरत है। मगर इसमे भी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञयो के विपरीत मत उभर के सामने आये है।

स्टेनली पलोत्कीन, अमेरिकन भौतिकशास्त्री जो की वैक्सीन निर्माण में एक सलाहकार है, उनके मुताबिक वैक्सीन की मानवीय चुनोती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी वैक्सीन के विकास में लाभप्रद रहेगा। इसके साथ आगे अपनी बात और तर्क जारी रखते हुए बोले की वैक्सीन के मानवीय परीक्षण द्वारा परिणाम जानने में जल्द ही सहायता मिलेगी साथ ही इसके व्यक्तिगत प्रभावों को भी वैज्ञानिक दृष्टि से अंकित किया और समझा जा सकता है। दूसरा फायदा यह होगा की इससे जल्दी ही वैक्सीन की आपसी तुलना की जा सकना सरल व सम्भव हो सकेगा।

किंतु वही दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी है जिनका मानना है की मानवीय परीक्षण को करना न तो अभी सही है और न ही नैतिक। एंटोनी.एस.फॉसी ने इसी बात को समझाते हुए, की अभी हमारे पास ऐसा कोई भी प्रमाणित इलाज नही है जो की कोविड-19 पर पूरी तरह काम करता हो। इसलिए यह बहुत ही अनैतिक होगा की कोविड-19 मानवीय शरीरों का इस्तेमाल करे।
दूसरी तरफ फॉसी ने इस बात पर भी सबका ध्यान दिलाया की यह वैक्सीन अभी मुख्यता किशोरों पर और वयस्को पर ही लगभग कामयाब हुई है, दीर्घायु वाले मरीजों को लेकर हम किसी प्रकार का कोई खतरा या जोखिम नही लेना चाहेंगे। ऐसे में अभी वैक्सीन की मानवीय परीक्षण करने से पूर्व एक बार फिर सोचने की जरूरत है।

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