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महाराष्‍ट्र का संकट टला, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत नौ लोग निर्विरोध MLC निर्वाचित

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महाराष्‍ट्र का संकट टला, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत नौ लोग निर्विरोध MLC निर्वाचित

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दलों के आठ अन्य उम्मीदवारों को बृहस्पतिवार को राज्य विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। ये सभी उम्मीदवार विधान परिषद की उन नौ सीटों के लिए मैदान में थे जो 24 अप्रैल को खाली हुयी थीं और जिनके लिए चुनाव अगले बृहस्पतिवार को होने थे। नौ सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली हुई सीटों को भरने के लिए चार मई को चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। शुरुआत में कोरोना वायरस महामारी के कारण चुनाव प्रक्रिया स्थगित कर दी गयी थी। प्रदेश के राज्यपाल बी एस कोश्यारी ने हाल ही में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर विधान परिषद के चुनाव कराने का अनुरोध किया था ताकि ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के अंदर विधायिका में निर्वाचित होने के संवैधानिक प्रावधान को पूरा कर सकें। नौ सीटों के लिए 14 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किये थे। इनमें से कागजों की छानबीन के दौरान एक उम्मीदवार का पर्चा खारज हो गया, वहीं भाजपा के अजीत गोपचडे तथा संदीप लेले, राकांपा के किरण पावस्कर और शिवाजीराव गर्जे ने 12 मई को नामांकन वापस ले लिया।

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इसके बाद नौ ही उम्मीदवार मैदान में बचे जिनमें शिवसेना से उद्धव ठाकरे और नीलम गोरे, भाजपा से रणजीत सिंह मोहिते पाटिल, गोपीचंद पाडलकर, अजीत दटके और रमेश कराड हैं। निर्विरोध निर्वाचित होने वाले उम्मीदवारों में राकांपा के शशिकांत शिंदे और अमोल मितकरी तथा कांग्रेस के राजेश राठौड़ भी हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘वे सभी निर्विरोध चुने गए।’’ उन्होंने बताया कि नामांकन वापस लेने की समय सीमा दोपहर तीन बजे समाप्त हो जाने के बाद परिणाम आधिकारिक रूप से घोषित किए गए। इससे पहले राज्य मंत्रिमंडल ने शुरुआत में सिफारिश की थी कि राज्यपाल अपने कोटे से ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करें। दो बार सिफारिश के बावजूद राज्यपाल ने ठाकरे को विधान मंडल के उच्च सदन में मनोनीत नहीं किया जिसकी सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के घटक दलों ने आलोचना की। ठाकरे ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात करके उनके हस्तक्षेप की मांग की थी। इस चुनाव के साथ 59 वर्षीय ठाकरे पहली बार विधायिका के सदस्य बने हैं। वह शिवसेना के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उन्हें 27 मई से पहले विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य बनना जरूरी था।

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