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धरने पर बैठे सांसदों को चाय पिलाने पर मोदी ने हरिवंश की सराहना की, उनके पत्र को प्रेरक बताया

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धरने पर बैठे सांसदों को चाय पिलाने पर मोदी ने हरिवंश की सराहना की, उनके पत्र को प्रेरक बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में धरने पर बैठे उच्च सदन के आठ निलंबित सदस्यों को मंगलवार सुबह चाय पिलाने के लिए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की सराहना की और उनकी ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को लिखे गए पत्र को ‘‘प्रेरक’’ करार देते हुए देशवासियों इसे ‘‘जरूर’’ पढ़ने का आग्रह किया। मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा ‘‘अपमानित’’ किए जाने के बावजूद हरिवंश का चाय की पेशकश करना उनकी उदारता और महानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी। आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उपसभापति हरिवंश को किस प्रकार ‘‘अपमानित’’ किया गया और उनपर ‘‘हमला’’ किया गया तथा फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई। यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है। लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है। मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’’

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उल्लेखनीय है कि रविवार को उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान भारी हंगामा हुआ था। इस विरोध के बावजूद किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक 2020 तथा किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था। अगले ही दिन ‘‘अमर्यादित व्यवहार’’ के कारण विपक्षी दलों के आठ सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसके विरोध में सभी आठ निलंबित सदस्य संसद भवन परिसर में ही ‘‘अनिश्चितकालीन’’ धरने पर बैठ गए। प्रदर्शन पर बैठे निलंबित सदस्यों के लिए उपसभापति हरिवंश अपने घर से चाय लेकर पहुंचे थे। इसके साथ ही हरिवंश ने राष्ट्रपति कोविंद और राज्यसभा के उपसभापति नायडू को पत्र लिखकर विपक्षी सदस्यों के कथित आपत्तिजनक आचरण पर गहरी पीड़ा जताई और 24 घंटे का उपवास करने की घोषणा की। शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे दोनों नेताओं को लिखे पत्रों के लगभग एक से मजमून में हरिवंश ने उम्मीद जताई कि इससे ‘‘आपत्तिजनक आचरण करने वाले सदस्यों‘‘ में ‘‘आत्म-शुद्धि’’ का भाव जागृत होगा। उन्होंने कहा, ‘‘20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्म पीड़ा, आत्म तनाव और मानसिक वेदना में हूं। पूरी रात सो नहीं पाया।’’ हरिवंश ने कहा कि 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृश्य उत्पन्न हुआ, उससे सदन और आसन की मर्यादा को ‘‘अकल्पनीय क्षति’’ हुई है। मोदी ने राष्ट्रपति को लिखे हरिवंश के पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए इसके हर शब्द को लोकतंत्र के प्रति आस्था को नया विश्वास देने वाला बताया और कहा कि इसमें सच्चाई के साथ-साथ संवेदनाए भी हैं और देशवासियों को इसे जरूर पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।

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