Bihar
नीतीश ने जाति आधारित जनगणना की मांग फिर दोहराई, कहा- कल्याणकारी योजनाएं बनाने में मिलेगी मदद
केंद्र सरकारद्वारा संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति के अलावा अन्य जातीयजनगणना नहीं कराने की बात स्पष्ट किए जाने के बावजूदबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को जाति आधारित जनगणना की मांग फिर दोहराई। उन्होंने कहा कि देश में जाति आधारित जनगणना से दलितों के अलावा अन्य गरीबों के लिए भी कल्याणकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा ने 2019 और 2020 में सर्व सम्मति से जाति आधारित जनगणना के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया था और केंद्र सरकार से इस पर अवश्य चिंतन करने का आग्रह किया था। जनता दल (यू) के नेता ने कहा कि जाति आधारित जनगणना 2010 में हुई थी और 2013 में एक रिपोर्ट मिली भी, लेकिन उसे कभी जारी नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लाभार्थियों को यहां 350 एम्बुलेंस प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात करते हुए कुमार ने कहा, “जाति आधारित जनगणना कम से कम एक बार की जानी चाहिए। इससे सरकार को दलितों के अलावा अन्य गरीबों की पहचान करने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में सुविधा होगी।” कुमार के बयान से कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि केंद्र सरकार एससी और एसटी के अलावा कोई जातीय जनगणना नहीं कराएगी।केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं करने का फैसला किया है। संविधान के प्रावधानों के अनुसार लोकसभा और विधानसभाओं में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। कुमार ने कहा, “हमने 2019 और 2020 में जाति आधारित जनगणना के समर्थन में पहले ही विधानसभा में प्रस्ताव पारित किये हैं। हमने इसे केंद्र सरकार को भी भेजा था। हम इस मुद्दे को 1990 से उठा रहे हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा अन्य वर्गों के लोगों के विकास और कल्याण के लिए जाति आधारित जनगणना कम से कम एक बार की जानी चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।