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नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के जन्मदिन पर देश भर में मनाया गया ‘सुरक्षित बचपन दिवस’
पटना। देश और दुनिया के जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता, नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का जन्मदिन 11 जनवरी को मनाया गया। इस विशेष दिन के अवसर पर देश भर में ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ मनाया गया। बताना आवश्यक है कि कैलाश जी सुरक्षित बचपन से सुरक्षित भारत की परिकल्पना को चरितार्थ करते आ रहे हैं। उनका मानना रहा है कि यदि देश के बच्चे सुरक्षित रहेंगे तो देश मजबूत और सुरक्षित होगा। जन्मदिन के अवसर पर कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इस बार कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया लेकिन इस विशेष महत्वपूर्ण दिन पर ऑनलाइन माध्यम से कई जागरूकता कार्यक्रम तथा बच्चों के वर्चुअल कार्यक्रम जैसे पेंटिंग व सिंगिंग कॉम्पटीशन का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों के जरिये बच्चों को उनके अधिकार, उनके कर्तव्य, उनके हितों की रक्षा आदि के बारे में जागरूक किया गया।
महत्वपूर्ण है कि कैलाश सत्यार्थी पिछले चार दशकों से भी लंबे समय से बाल मजदूरी, बाल दुर्व्यापार के खिलाफ आंदोलनरत रहे हैं। उनकी लंबी, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ सेवा के लिए उन्हें वर्ष 2014 में विश्व की सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
क्यों मनाया जाता है सुरक्षित बचपन दिवस?
11 जनवरी को कैलाश सत्यार्थी जी का जन्मदिवस है। अमूमन लोग अपने जन्मदिन को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं लेकिन सत्यार्थी जी इस विशेष दिन को बच्चों की सुरक्षा के लिए समर्पित करते हुए सुरक्षित बचपन दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसी बच्चे का बचपन सुरक्षित हो जाये तो उसका आगे का पूरा जीवन सुरक्षित हो जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले चालीस-पैंतालीस वर्षों के संघर्ष के दौरान सत्यार्थी जी को कई तरह की कठिनाइयों, मुसीबतों का सामना करना पड़ा। उन्हें कई बारी तस्करों की लाठियों, पत्थरों की चोट सहनी पड़ी, लेकिन वह डिगे नहीं। वह चाहते तो अपना जीवन एक इंजीनयर के रूप में आसानी और समृद्ध रूप में गुजार सकते थे लेकिन बाल अधिकारों के हनन, बच्चों के साथ हो रहे हिंसा, उत्पीड़न, बंधुआ मजदूरी, तस्करी आदि को महसूस करते हुए उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में ही यह ठान लिया था कि उन्हें बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए संघर्ष करना है। तब से लेकर आज तक बचपन बचाओ आंदोलन, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन, बाल आश्रम, बाल मित्र मंडल आदि संस्थाओं के माध्यम से लाखों की संख्या में बच्चों की जिंदगी सँवारी जा चुकी है। आज बिहार समेत देश के दर्जनों राज्यों में बाल श्रम, बाल दुर्व्यापार, बाल यौन शोषण के खिलाफ जन जागरूकता तथा बाल अधिकार की सुरक्षा पर वृहत स्तर पर कार्य किया जा रहा है। कैलाश जी के इस सफर में उनकी धर्म पत्नी श्रीमती सुमेधा कैलाश जी बढ़-चढ़ कर उनका साथ दिया है। बच्चे उन्हें प्यार से भाई साहब और माता बोलते हैं। वह बच्चों के लिए माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त और मसीहा सबकुछ हैं। ऐसे सख्स का दीर्घायु होना बाल कल्याण, समाज कल्याण, विश्व कल्याण के लिए वरदान ही है।