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राजनाथ सिंह ने ईरानी समकक्ष से द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि ईरानी रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमिर हतामी के साथ हुई उनकी मुलाकात ‘‘अत्यंत सार्थक’’ रही और इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने तथा अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने संबंधी अपनी तीन दिवसीय मॉस्को यात्रा के समापन के बाद लौटते हुए शनिवार को तेहरान पहुंचे थे। उन्होंने मॉस्को में रूसी, चीनी और मध्य एशियाई देशों के समकक्षों से द्विपक्षीय वार्ता की थी। सिंह ने ट्वीट किया कि तेहरान में ईरानी रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमिर हतामी से ‘‘अत्यंत सार्थक’’ मुलाकात हुई। हमने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा और द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की।’’ रक्षा मंत्री के कार्यालय ने एक अन्य ट्वीट में ईरान के रक्षा मंत्री के अनुरोध पर शनिवार को हुई बैठक के बारे में कहा, ‘‘दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की तथा अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सहित क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’’ इसने कहा कि दोनों मंत्रियों की बैठक बहुत ही ‘‘सौहार्दपूर्ण और गर्मजोशी के माहौल’’ में हुई। दोनों नेताओं ने भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषायी और सभ्यतागत संबंधों पर जोर दिया। ईरान की आधिकारिक इरना न्यूज एजेंसी द्वारा रविवार को जारी खबर के मुताबिक ईरानी रक्षा मंत्री हतामी और उनके भारतीय समकक्ष सिंह ने तेहरान में अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। खबर में रेखांकित किया गया कि दिसंबर 2019 में कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद सिंह की तेहरान यात्रा किसी शीर्ष भारतीय अधिकारी की पहली यात्रा है। इरना ने बताया कि ईरान और भारत के बीच पारंपरिक रूप से दोस्ती का रिश्ता है और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईरानी और भारतीय अधिकारी नियमित रूप से सहयोग के लिए परामर्श करते हैं।
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सिंह की क्षेत्र के प्रमुख देश खिलाड़ी ईरान की यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि भारत द्वारा अफगानिस्तान और फारस की खाड़ी के हालात को लेकर जताई गई चिंता के एक दिन बाद यह यात्रा हुई है। तालिबान और अमेरिका के बीच फरवरी में हुए समझौते के बाद अफगानिसतान में बन रहे राजनीतिक हालात पर भारत नजर रखे हुए है। इस करार से अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता निकला है और इस प्रकार अमेरिका प्रभावी तरीके से अफगानिस्तान में 18 साल से जारी युद्ध के पटाक्षेप की ओर बढ़ रहा है। मॉस्को में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की संयुक्त बैठक को शुक्रवार को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है। एससीओ की बैठक में सिंह ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के लोगों और सरकार का अफगान नीत, अफगान द्वारा और अफगान नियंत्रित समावेशी शांति प्रक्रिया की कोशिश का भारत समर्थन जारी रखेगा।’’ उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान की शांति और मेलमिलाप प्रक्रिया में भारत प्रमुख हितधारक रहा है। भारत शांति और मेलमिलाप प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है। नयी दिल्ली का रुख है कि यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी किसी प्रक्रिया से कोई ऐसा ‘‘गैर शासित स्थान’’ नहीं बने जहां आतंकवादी और उनसे जुड़े लोग फिर से हावी हो सकें। अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन को लेकर वैश्विक चिंता है। एसीओ की बैठक में भारत ने खाड़ी क्षेत्र के हालात पर चिंता जताई जो देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए अहम है। फारस की खाड़ी में हाल के हफ्तों में ईरान, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से संबंधित कई घटनाएं हुईं जिससे इलाके में तनाव बढ़ा है। सिंह ने एससीओ की बैठक में कहा, ‘‘हम फारस की खाड़ी में उत्पन्न हालात को लेकर बहुत चिंतित हैं।’’ उन्होंने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम इलाके के देशों को – जो सभी भारत के प्रिय और मित्र हैं- पारस्परिक सम्मान के आधार पर, संप्रभुता और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांत पर बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने का आह्वान करते हैं।’’ ईरान ने धमकी दी थी कि अगर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका तेहरान की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने के लिए प्रतिबंध लगाता है (हालांकि, अमेरिका प्रबंध लगा चुका है) तो वह हॉरमुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले तेल टैंकरों के मार्ग को बाधित कर देगा। भारत और ईरान के बीच मजबूत वाणिज्यिक, ऊर्जा, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संबंध हैं। भारत-ईरान कारोबार में पारंपरिक रूप से तेल का प्रभुत्व है। वर्ष 2018-19 में भारत ने ईरान से 12.11 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात किया था। यहां स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक हालांकि, अमेरिका द्वारा ईरान के तेल आयातक देशों को प्रतिबंध से छूट देने की दी गई मियाद दो मई 2019 को समाप्त होने के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात स्थगित कर दिया है। अमेरिका ने भारत सहित ईरान के तेल आयातक देशों से कहा था कि वे छह नवंबर 2019 तक तेहरान से तेल आयात को शून्य करें या पाबंदी का सामना करे। दूतावास की वेबसाइट के मुताबिक वर्ष 2019-20 में भारत-ईरान द्विपक्षीय व्यापार 4.77 अरब डॉलर का रहा जो वर्ष 2018-19 के मुकाबले 71.99 प्रतिशत कम है। वर्ष 2018-19 में दोनों देशों के बीच 17.03 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। हालांकि, वर्ष 2011-12 से 2019-20 के बीच भारत से ईरान को निर्यात में 45 .60 प्रतिशत की वृद्धि हुई।