Bihar
राजद की संस्कृति ही धनबल की रही है, बिना पैसा का नहीं होता कोई काम: सांसद ललन सिंह
पटना। लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि हम तेजस्वी यादव को तवज्जो नहीं देते कारण कि जो व्यक्ति आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ हो उसे बिहार के विकास और कल्याण पर बात करने का अधिकार नहीं है, इसलिए तेजस्वी यादव की बातों का कोई अर्थ नहीं। जगदानंद सिंह को कुछ भी बोलने से पहले अपने गिरहबान में झाँकना चाहिए कि वो जिस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, वहाँ राज्यसभा से लेकर विधानसभा और विधान परिषद का टिकट बिकता है। कई बार हमारे संज्ञान में आया है कि राजद से टिकट मिलने के बाद भी सिंबल देने के नाम पर लालू जी कहते थे कि कुछ और माल दोगे तब न सिंबल देंगे, तो राजद की तो संस्कृति ही धनबल की रही है। जगदानंद सिंह को चाहिए कि अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते वे कहें कि अब राजद में बिना पैसा का टिकट मिलेगा और राजद में धनबल की इस संस्कृति के लिए उन्हें शर्म करना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि देश-दुनिया का हर आदमी जानता है कि देश के चुनिंदा ईमानदार नेतृत्व में नीतीश कुमार जी एक हैं, और हमें ही नहीं बिहार की जनता को भी गर्व है कि नीतीश कुमार जी बिहार के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह कहते हैं 4 महीना इंतजार करिए हमारा वोटर खेत खलिहान में रहते हैं, तो ये भावना भड़काने का काम तो लालू जी बहुत किए। अब ये सब खत्म हो गया, वो समय लद चुका है। माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने बिहार की राजनीति में एक नई संस्कृति पैदा की है, न्याय के साथ विकास। समाज के हर तबके के साथ न्याय होगा और बिहार के हर इलाके का विकास होगा, जो पूर्णतः हो भी रहा है और प्रत्यक्ष दिख भी रहा है। जगदानंद सिंह अपने यहाँ ही देख लें न, लालू-राबड़ी जी की सरकार में सिंचाई मंत्री रहते हुए रामगढ़ की सड़क तक नहीं बनवा पाए, आज बताएं कि रामगढ़ की जो सड़क है उस वक्त ऐसा क्यों नहीं था। दुर्गावती परियोजना उनके ही क्षेत्र में है, मंत्री रहते क्यों नहीं करवा लिए थे? जनता तैयार बैठी है, विधानसभा के चुनाव में लोकसभा चुनाव परिणाम की पुनरावृत्ति को, ये फिर मुँह की खाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार के राजनीतिक गलियारे की आँखों देखी घटना हमें याद आ रहा है जो कि बहुतों को अभी याद भी नहीं होगा कि जगदानंद सिंह वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने लालू जी के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री को सर, सर, सर कहने की परंपरा का इजाद किया। हम इसके प्रत्यक्षदर्शी हैं, गवाह हैं कि जगदानंद सिंह लालू जी को हरेक वाक्य के बाद तीन बार सर कहते थे। समाज ही नहीं राजनीति में भी एक भक्त होता है और एक भांट होता है। जगदानंद सिंह भक्त तो हैं नहीं बाकी वो क्या हैं, वो खुद तय करें।