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परमवीर कैप्टन मनोज पांडेय की शहादत को सलाम, कारगिल युद्ध मे आज ही के दिन हुए थे शहीद, दर्जनों पाकिस्तानी बंकरों को अकेले ही कर दिया था नेस्तोनाबूत!
नई दिल्ली। आज देश के लाल, वीरों के वीर, परमवीर कैप्टन मनोज पाण्डेय का शहादत दिवस है। इस गौरवशाली अवसर पर उनके स्कूल “सैनिक स्कूल लखनऊ” में विशेष आयोजन के तहत परमवीर कैप्टन मनोज पांडेय की शहादत को सलाम किया गया। उनके पिता श्री गोपीचंद पांडेय जी ने स्कूल परिसर में बने शहीद मनोज पांडेय के वीर स्मारक पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। सच है कि इस अवसर पर हमारी आंखें नम हो आती हैं, लेकिन यह क्षण हमे मजबूत भी करता है। आज ही के दिन 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन मनोज ने न सिर्फ पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाते हुए उनके दर्जनों बंकरों को नेस्तानाबूत कर डाला था बल्कि दुश्मनों की पूरी टोली को पूरी तरह से तबाह कर हिंदुस्तान का झंडा बुलंद करते मां भारती की गोद मे सदा के लिए सो गए थे। कैप्टन मनोज पांडेय को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्य वीर सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से नवाजा गया।
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उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रुधा गांव से आने वाले कैप्टन मनोज पांडेय अत्यंत साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी स्कूली शिक्षा देश के प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल लखनऊ से हुई और यही से उनका चयन नेशनल डिफेन्स अकैडमी में हुआ। सर्वविदित है कि सैनिक स्कूल देश में सैन्य अधिकारियों की शिक्षा दीक्षा के लिए सर्वोच्य संस्थान है। एक रोचक तथ्य है कि सैन्य अधिकारी के लिए हुए उनके साक्षात्कार सर्विस सेलेक्शन बोर्ड में जब उनसे पुछा गया कि वह सेना क्यों जॉइन करना चाहते हैं, तो उस समय सिर्फ स्कूल से 12 वीं पासआउट मनोज ने जवाब दिया कि मैं सेना में परमवीर चक्र प्राप्त करने के लिए आना चाहता हूँ। उनकी यह जज़्बात हर साल हज़ारों नए सैन्य अधिकारी व जवानों में डिफेंस जॉइन करने का हौसला भरता है। बतौर सैन्य अधिकारी मनोज पांडेय 1/11 गोरखा राइफल्स में अपनी सेवा देते देश के लिए शहीद हो गए। आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी बहादुरी और कुर्बानी देश के करोड़ों युवाओं को हँसते हँसते देश के लिए कुर्बान हो जाने की प्रेरणा देता है।
ऐसे वीर सपूत को देश का हरेक नागरिक नमन करता है और उनकी बहादुरी पर नाज करता है।